Президент Турции Реджеп Тайип Эрдоган посетил российский авиасалон МАКС в подмосковном Жуковском, где ему сделали немало предложений, в том числе весьма дорогостоящих. Что же предлагали турецкому лидеру и чем заинтересовался он сам?
Во время экскурсии по авиасалону Эрдоган проявил интерес к покупке новейшего российского истребителя пятого поколения Су-57.
"Это Су-57? А он уже летает?" - спросил Эрдоган у президента России Владимира Путина во время осмотра машины. "Летает", - ответил тот. "А его можно купить?" - продолжил интересоваться Эрдоган. "Можете купить", - сказал Путин и засмеялся.
Позднее на пресс-конференции Путин сообщил, что Россия готова организовать для турецких летчиков полеты на истребителях Су-30СМ.
Вице-премьер Юрий Борисов также сообщил, что Турция демонстрирует неподдельный интерес к российским истребителям Су-35.
При этом министр промышленности и торговли России Денис Мантуров подчеркнул, что Турция пока лишь знакомится с российской боевой авиацией, о покупках говорить пока рано.
Глава госкорпорации "Роскосмос" Дмитрий Рогозин предложил Эрдогану организовать отправку на МКС турецкого астронавта.
"У нас есть предложение к вам совместное - к юбилею республики организовать полет турецкого астронавта на орбиту. Центр подготовки космонавтов готов к этой работе", - сказал Рогозин.
Турецкий лидер тут же согласился и заявил, что готов присоединиться к "священной работе".
Путин сообщил, что во вторник была осуществлена поставка еще одной партии зенитно-ракетных комплексов С-400 по контракту с Турцией. В минобороны Турции заявили, что весь процесс передачи ЗРС займет около месяца.
По словам генерального директора концерна "Алмаз-Антей" Яна Новикова, 1 сентября начнется обучение турецких военных управлению С-400, оно должно продлиться до 2 января следующего года.
Как подчеркнул Эрдоган, вокруг поставок С-400 было "очень много сплетен", однако турецкие власти "не обращали на них ни малейшего внимания".
"Наша солидарность в этой области - мы хотим распространить ее на все остальные сферы оборонной промышленности. Также это может быть и по военным самолетам", - добавил он.
Российская сторона в свою очередь отметила, что готова предложить дальнейшие поставки С-400 после завершения поставок первой партии.
Wednesday, August 28, 2019
Tuesday, August 20, 2019
तस्वीरों में महसूस कीजिए कश्मीरियों के दर्द
महिला फ़ोटोग्राफ़र अवनि राय बताती हैं कि कश्मीर की वजह से ही वो फ़ोटोग्राफ़र बनी हैं.
कश्मीर का उन पर इतना असर है कि वह साल के आठ से नौ महीने कश्मीर में बिताती रही हैं, हालांकि वह पहली बार कश्मीर 2014 में ही गई थीं.
इन चार-पांच सालों में उन्होंने कश्मीरी लोगों की ज़िन्दगी और उनके कई पहलुओं को कैमरे में क़ैद करने की कोशिश की हैं.
इतने सालों से कश्मीर में ईद मनाने वाली अवनि राय को दुःख है की भारतीय संविधान से 370 और 35A के ख़त्म होने के बाद कश्मीर में जो हालात पैदा हुए, उस कारण वो ईद में वहां नहीं जा पाईं. इसका उन्हें बेहद दुख है.
कश्मीर के बारे में एक किताब पर काम कर रही अवनि वहां की जनता को समझती हैं, इसलिए उनकी तकलीफ़ों और दुख पर भारतीयों का ध्यान केंद्रित करने के लिए उन्होंने एक ख़ास फ़ोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया है, जिसमें कश्मीरियों की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी की झलकियां मिलती हैं.
अवनि राय की यह फोटो प्रदर्शनी दक्षिण मुंबई के काला घोड़ा में स्थित मैथड आर्ट स्पेस में लगाई गई है.
अवनि कहती है, "ये कहना ग़लत नहीं होगा कि मेरे काम का कश्मीर में चल रही राजनैतिक हलचल से कोई लेना-देना नहीं है. पर में सरल भाषा में कहना चाहूंगी की मेरी प्रदर्शनी चिंता है कश्मीरी लोगों के लम्बे दर्द और पीड़ा की, जिसकी आवाज़ सीमा और असमंजस भविष्य में दबी हुई है."
अवनि कहती हैं, "जहां रोज़ के रक्तपात और कलह के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच एक होड़ लगी हुई है, वहां कश्मीरी लोगों की दुख भरी कहानियां दब जाती हैं. कश्मीरी बच्चे और औरतें जिस सदमे में हैं, वो न्यायसंगत नहीं है."
"आज फ़ोन सेवा बंद है. जो भी आवाज़ें सुनाई दे रही हैं, वो श्रीनगर से आ रही हैं, जहाँ पत्रकार हैं. उत्तर में उरी और दक्षिण में पुलवामा से कोई आवाज़ नहीं आ रही है.अंदरुनी कश्मीर घाटी से जो भी आवाज़ें आ रही हैं, वो चोरी छुपे सावधानी से पेन ड्राइव के ज़रिये आ रही हैं."
अवनि का कहना है कि भारत अपना 73वां स्वतंत्रता का जश्न मना रहा है पर उनकी प्रदर्शनी की एक ही दलील है कश्मीरी लोगो की तरफ़ से कि उन्हें अपने विचार रखने दें."
प्रदर्शनी में लगाई गईं तस्वीरों में ऊपर की यह तस्वीर अवनि के दिल के काफी क़रीब है. इस तस्वीर में एक बच्चा प्लेन क्रैश की सर्किट हाथ में लिए खड़ा है. बच्चे की उम्र 12-13 साल होगी.
कश्मीर का उन पर इतना असर है कि वह साल के आठ से नौ महीने कश्मीर में बिताती रही हैं, हालांकि वह पहली बार कश्मीर 2014 में ही गई थीं.
इन चार-पांच सालों में उन्होंने कश्मीरी लोगों की ज़िन्दगी और उनके कई पहलुओं को कैमरे में क़ैद करने की कोशिश की हैं.
इतने सालों से कश्मीर में ईद मनाने वाली अवनि राय को दुःख है की भारतीय संविधान से 370 और 35A के ख़त्म होने के बाद कश्मीर में जो हालात पैदा हुए, उस कारण वो ईद में वहां नहीं जा पाईं. इसका उन्हें बेहद दुख है.
कश्मीर के बारे में एक किताब पर काम कर रही अवनि वहां की जनता को समझती हैं, इसलिए उनकी तकलीफ़ों और दुख पर भारतीयों का ध्यान केंद्रित करने के लिए उन्होंने एक ख़ास फ़ोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया है, जिसमें कश्मीरियों की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी की झलकियां मिलती हैं.
अवनि राय की यह फोटो प्रदर्शनी दक्षिण मुंबई के काला घोड़ा में स्थित मैथड आर्ट स्पेस में लगाई गई है.
अवनि कहती है, "ये कहना ग़लत नहीं होगा कि मेरे काम का कश्मीर में चल रही राजनैतिक हलचल से कोई लेना-देना नहीं है. पर में सरल भाषा में कहना चाहूंगी की मेरी प्रदर्शनी चिंता है कश्मीरी लोगों के लम्बे दर्द और पीड़ा की, जिसकी आवाज़ सीमा और असमंजस भविष्य में दबी हुई है."
अवनि कहती हैं, "जहां रोज़ के रक्तपात और कलह के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच एक होड़ लगी हुई है, वहां कश्मीरी लोगों की दुख भरी कहानियां दब जाती हैं. कश्मीरी बच्चे और औरतें जिस सदमे में हैं, वो न्यायसंगत नहीं है."
"आज फ़ोन सेवा बंद है. जो भी आवाज़ें सुनाई दे रही हैं, वो श्रीनगर से आ रही हैं, जहाँ पत्रकार हैं. उत्तर में उरी और दक्षिण में पुलवामा से कोई आवाज़ नहीं आ रही है.अंदरुनी कश्मीर घाटी से जो भी आवाज़ें आ रही हैं, वो चोरी छुपे सावधानी से पेन ड्राइव के ज़रिये आ रही हैं."
अवनि का कहना है कि भारत अपना 73वां स्वतंत्रता का जश्न मना रहा है पर उनकी प्रदर्शनी की एक ही दलील है कश्मीरी लोगो की तरफ़ से कि उन्हें अपने विचार रखने दें."
प्रदर्शनी में लगाई गईं तस्वीरों में ऊपर की यह तस्वीर अवनि के दिल के काफी क़रीब है. इस तस्वीर में एक बच्चा प्लेन क्रैश की सर्किट हाथ में लिए खड़ा है. बच्चे की उम्र 12-13 साल होगी.
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