सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरू गुरुनानक देव की 550वीं जयंती के मौके पर भारत से लेकर पाकिस्तान तक प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है.
गुरुनानक देव जी को मुस्लिम समुदाय भी फ़कीर के तौर पर पूजता है. ऐसे में गुरु नानक देव को एक गुरू के तौर पर देखा जाता है. जिन्हें मानने वाले किसी एक धर्म के ही लोग शामिल नहीं हैं.
प्रकाश पर्व का आयोजन हर साल किया जाता है लेकिन ये प्रकाश पर्व कुछ ख़ास है और इसका सबसे बड़ा कारण है कि भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर को खोल दिया गया है. वो जगह जहां गुरुनानक देव ने अपने आखिऱी 18 साल गुज़ारे थे.
नौ नवंबर को भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान की ओर से प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन किया. हालांकि पहले जत्थे में वीवीआईपी ही शामिल थे लेकिन उस दिन के बाद से आम लोग भी करतारपुर के दर्शन के लिए जा रहे हैं.
उनके प्रकाश पर्व पर उम्मीद की जा रही है कि लोग बड़ी संख्या में यहां जमा होंगे. लेकिन अगर गुरुनानक देव जी के जीवन को तीन चरणों में बांटे तो उनके जन्मस्थान ननकानासहिब (पाकिस्तान), सुल्तानपुर लोधी (भारत) और करतारपुर शहरों का ख़ास महत्व है.
सिख श्रद्दालु हर साल यहां हज़ारों की संख्या में दर्शन करते आते हैं . ख़ासतौर पर प्रकाश-पर्व के मौक़े पर और इस बार तो यह और भी ख़ास है. हालांकि बीबीसी के सहयोगी रविंदर सिंह रॉबिन कहते हैं कि जिस तरह हम सिल्वर जुबली, गोल्डन जुबली मनाते हैं यह 550वां प्रकाश पर्व वैसा ही है. संख्या को महत्व दिया जा सकता है लेकिन सच्चाई यही है कि गुरुनानक के प्रकास पर्व को हर साल, हर सिख इतनी ही शिद्दत से मनाता आया है.
वो कहते हैं, "रौनक ही अलग है यहां की. हज़ारों की संख्या में लोग जमा हुए हैं. सिख यहां अल्पसंख्यक हैं लेकिन अगर सड़कों पर से गुज़रें तो लगता है कि सिख बहुत जगह से होकर जा रहे हैं."
अली के मुताबिक़ पूरी दुनिया से हज़ारों की संख्या में लोग आए हुए. कई तो ऐसे हैं जो हफ़्तों से यहां के होटलों और टेंट में रह रहे हैं.
अली के मुताबिक़, गुरुनानक का प्रकाश पर्व यहां के लोगों के लिए बहुत अहमियत रखता है और चूंकि 550वां प्रकाश पर्व है तो जुलूस निकालने की व्यवस्था की गई है. यह जुलूस मुख्य गुरुद्वारे से होता हुआ शहर में मौजूद छह अन्य गुरुद्वारों से होता हुआ आगे बढ़ेगा.
ये सभी गुरुद्वारे गुरुनानक देव के बचपन की प्रमुख यादों और संदेशों को याद करते हुए निर्मित किये गए हैं.
ननकाना साहिब में इस पर्व की तैयारियां पिछले एक हफ़्ते से चल रही हैं.
अली बताते हैं कि यूं तो हर साल ही लोग इस मौक़े पर ननकानासाहिब आते हैं लेकिन निश्चित तौर पर इस बार यह संख्या अधिक है. अली इसका एक बड़ा कारण करतारपुर कॉरिडोर के खुलने को भी मानते हैं.
अगर इस गुरुनानक देव के जीवन का दूसरा ख़ास स्थान कहें तो ग़लत नहीं होगा. भारत में मौजूद इस जगह पर उन्होंने क़रीब 14-15 साल बिताए.
बेबे नानकी के घर का कुआँ आज भी चलताऊ है. पहली मंजिल पर गुरु ग्रंथ साहिब प्रकाशित है और एक संग्रहालय है. गुरु नानक की बहन अपने पति जय राम जी के साथ यहां रहती थी.