Friday, December 21, 2018

कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल में BJP की रथयात्रा पर फिर से रोक लगाई

कलकत्ता हाई कोर्ट की डबल बेंच ने एकल बेंच के फैसले को पलटते हुए पश्चिम बंगाल में बीजेपी की प्रस्तावित रथयात्रा पर रोक लगा दी है. इससे पहले पश्चिम बंगाल सरकार ने बीजेपी को राज्य में यात्रा निकालने की अनुमति देने के हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ के पास याचिका दायर की जिसमें कोर्ट ने सुनवाई करते हुए रथयात्रा पर फिर से रोक लगा दी. इससे पहले कोर्ट की सिंगल बेंच बीजेपी की रथयात्रा पर रोक लगा चुकी है.

कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस तपब्रत चक्रबर्ती की बेंच ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार के फैसले को पलटते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्रस्तावित रथ यात्रा को निकालने की मंजूरी दी थी. पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) अध्यक्ष अमित शाह की प्रस्तावित रथयात्रा को मंजूरी देने के हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने का ऐलान किया. कलकत्ता हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने सरकार के फैसले के साथ जाते हुए 6 दिसंबर को इस रथयात्रा पर रोक लगा दी थी, लेकिन बीजेपी की अपील पर हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने इस फैसले पर रोक लगा दिया था.

कलकत्ता हाई कोर्ट में जस्टिस विश्वनाथ सोमादर और जस्टिस ए मुखर्जी की पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि अनुमति को लेकर सरकार की चुप्पी 'आश्चर्यजनक और चौंकाने वाली है.' अदालत ने सिंगल बेंच के उस आदेश के खिलाफ बीजेपी की ओर से दायर अपील का निस्तारण कर दिया जिसमें पार्टी को उसकी रथयात्रा के लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था.

फिर कोर्ट ने निर्देश दिया कि मुख्य सचिव, गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक 12 दिसंबर तक बीजेपी के तीन प्रतिनिधियों के साथ बैठक करें और 14 दिसंबर तक मामले में कोई निर्णय करें. बेंच ने कहा कि सिंगल बेंच द्वारा रैली पर रोक नहीं लगानी चाहिए थी.

7 दिसंबर को निकालनी थी रथयात्रा

पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार, पश्चिम बंगाल में बीजेपी का तीन रथ यात्राएं निकालने का कार्यक्रम था, जिसमें खुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह शामिल होने वाले थे. हालांकि कोर्ट के फैसले के बाद अमित शाह को अपना पूर्व निर्धारित कार्यक्रम रद्द करना पड़ा.

पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार एक रथयात्रा 7 दिसंबर से कूचबिहार से शुरू होने वाली थी, दूसरी रथयात्रा 9 दिसंबर को 24 परगना से और तीसरी 14 दिसंबर को बीरभूमि के तारापीठ से निकाली जानी थी.

बाद में कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को प्रस्तावित रथयात्रा के लिए बीजेपी के प्रदेश नेताओं के साथ उसकी बैठक की फुटेज सौंपने को कहा था. महीने के शुरुआती हफ्ते में प्रशासन ने यात्रा को अनुमति देने से मना कर दिया था. बीजेपी की ओर से कलकत्ता हाईकोर्ट को रथयात्रा की नई तारीखों (23, 26 और 27 दिसंबर) के बारे में जानकारी दे दी गई थी.

Friday, December 7, 2018

दुबई पुलिस की कस्टडी से रिहा हुए मीका सिंह, होंगे कोर्ट में पेश

मीका सिंह पर 17 वर्षीय ब्राजीलियन मॉडल ने यौन शोषण के आरोप लगाए. जिसके बाद दुबई पुलिस ने गुरुवार सुबह मीका को हिरासत में लिया था. लेकिन अब सिंगर को रिहा कर दिया गया है. उन्हें आज कोर्ट में पेश किया जाएगा.

भारतीय राजदूत नवदीप सुरी ने इंडिया टुडे से बातचीत में बताया कि सिंगर को गुरुवार रात को पुलिस हिरासत से रिहा कर दिया गया था.

उन्होंने कहा, ''उन्हें गुरुवार को हिरासत में लिया गया था और अबू धाबी ले जाया गया. हमें गुरुवार शाम 5 बजे के करीब इस बारे में पता चला. हमने अपनी एक टीम उनके पास भेजी और अधिकारियों से बातचीत की. रात को 11.30 बजे मीका को पुलिस कस्टडी से रिहा किया गया. आज वे कोर्ट में पेश होंगे.''

एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, ''ऐसे मामलों में केस की जांच पूरी होने तक पासपोर्ट जब्त कर लिया जाता है.'' भारतीय एंजेसी दोनों पक्षों के संपर्क में बनी हुई है. मीका ने कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए एक वकील को हायर किया है.

बता दें, ब्राजीलियन युवती ने मीका पर आपत्त‍िजनक तस्वीरें भेजने की शिकायत दर्ज कराई थी. जिसके बाद  मीका सिंह को दुबई में गुरुवार सुबह 3 बजे कस्टडी में लिया गया. मीका अपने सिंगिंग परफॉर्मेंस के सिलसिले में दुबई में थे.

दूसरी तरफ, मीका की इन हरकतों के बारे में जानकर राखी सावंत परेशान हैं और वे रो रही हैं. राखी ने इंस्टा अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया है. जिसमें वे कह रही हैं- ''मीका तुम इतने लफड़े करते हो ना, अभी मैं आ रही हूं तुम्हें छुड़ाने के लिए. मैं दुबई का वीजा ढूंढ रही हूं.'' वहीं अपने यूट्यूब चैनल पर राखी ने मीका पर बोलते हुए कहा- ''आप मेरे दोस्त हो, क्यों मेरी इज्जत से खेल रहे हो.''

गुरुवार को दर्शकों की यह संख्या चार साल पहले भारत के खिलाफ यहां खेले गए मैच के पहले दिन से भी कम थी. उस मैच में 25,619 दर्शक मैदान में मौजूद थे. उन्होंने एसईएन रेडियो से कहा, ‘इस में कोई शक नहीं कि दिन-रात्रि टेस्ट के प्रशंसक हमसे दूर हुए हैं. हम एडिलेड में फिर से दिन-रात्रि टेस्ट मैच की तरफ लौटना चाहेंगे.’

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रॉबर्टस ने कहा उन्हें उम्मीद है कि बीसीसीआई 2020-21 में ऑस्ट्रेलिया के अगले दौरे पर दिन-रात्रि टेस्ट खेलने के लिए तैयार होगा. उन्होंने कहा, ‘हम ऐसा ही उम्मीद कर रहे. हम एक बार में एक कदम लेंगे. हम यह मानते हैं कि टेस्ट को लेकर उनका नजरिया अलग है. उम्मीद है कि प्रशंसकों की भावनाओं को ध्यान में रखकर हम दिन-रात्रि टेस्ट में खेल सकते है.’

Tuesday, December 4, 2018

श्रीसंत ने रोह‍ित को मारा थप्पड़, क्या होंगे शो से बाहर?

बिग बॉस 12 के घर में हर द‍िन नया धमाल होता है. इन दिनों शो में दो टीम बन गई है. एक टीम में दीप‍िका, श्रीसंत, रोमिल, जसलीन और मेघा हैं, वहीं दूसरी टीम में दीपक, करणवीर, रोह‍ित और सुरभ‍ि शामिल हैं. बात करें सोमी की तो वो घर में इन द‍िनों हर रोज खुद को संचालक की भूमिका में प्रेजेंट करती हैं. बीते द‍िनों श्रीसंत और सुरभ‍ि के झगड़े ने घर में जमकर हंगामा खड़ा किया था. एक बार फिर श्रीसंत की वजह से घर में हंगामा होना है.

ब‍िग बॉस में बुधवार को आने वाले एप‍िसोड की एक झलक दिखाई गई है. इसमें श्रीसंत गुस्से में रोह‍ित को थप्पड़ मारते नजर आ रहे हैं. ब‍िग बॉस के रूल के मुताब‍िक कोई कंटेस्टेंट किसी पर फिज‍िकल अटैक करता है तो उसे घर से बेघर कर द‍िया जाता है. ऐसे में सोशल मीड‍िया पर ये चर्चा जोरों पर है कि श्रीसंत का घर से बाहर आना तय है. लेकिन फैंस श्रीसंत के गुस्से को गलत भी नहीं ठहरा रहे हैं. सोशल मीड‍िया पर श्रीसंत को पूरा सपोर्ट मिल रहा है.

बता दें बीते द‍िनों श्रीसंत की तब‍ियत ब‍िगड़ने की जानकारी उनकी पत्नी भुवनेश्वरी ने ट्व‍िटर पर दी. भुवनेश्वरी ने ट्वीट में ल‍िखा, "जब मुझे पता चला कि श्रीसंत की तब‍ियत ब‍िगड़ने की वजह से उन्हें अस्पताल में एडमिट किया गया है तो मैं परेशान हो गई थी. मेरी टीम से बात हुई है, वो बता रहे हैं कि अभी श्री ठीक हैं."

भुवनेश्वरी ने बताया, "श्री को तेज दर्द होने की वजह से एडमिट किया गया था. वहां उनका चेकअप हुआ और एक्स-रे के बाद वापस घर के अंदर भेज द‍िया गया है. श्री के लिए प्रार्थना करने वालों का शुक्र‍िया."

सुरभ‍ि से श्रीसंत की लड़ाई

बता दें कि श्रीसंत और सुरभ‍ि के बीच हाल ही में घर के अंदर काफी विवाद हुआ था. एक टास्क के दौरान श्रीसंत ने सुरभ‍ि को परेशान करने की कोश‍िश की. इसके बाद सुरभ‍ि ने श्रीसंत को धक्का दे द‍िया. लेकिन ये मामला यहीं शांत नहीं हुआ. टास्क के बाद दूसरे द‍िन श्रीसंत को परेशान करने की इंटेंशन के साथ सुरभ‍ि ने श्री के कर‍ियर से लेकर पर्सनल लाइफ तक पर सवाल उठाए. इसके बाद श्रीसंत का गुस्सा भड़का और उन्होंने सुरभ‍ि को 'कैरेक्टरलेस' तक कह द‍िया. जब इस शब्द पर बवाल हुआ तो श्री ने कहा, "मेरी बात का मतलब इतना था कि वो अपना कैरेक्टर यान‍ि रोल सही से नहीं निभा रही है."

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर (Bulandshahr Violence) में सोमवार को हुई हिंसा की पड़ताल पुलिस ने शुरू कर दी है. भीड़ की इस हिंसा में एक पुलिसवाले (सुबोध कुमार) और एक आम नागरिक की मौत हो गई है. पुलिस ने अब इस मामले में छापेमारी शुरू कर दी है, रातभर पुलिस ने महाव और चिंगरावठी गांव में छापेमारी की.

पुलिस ने स्याना क्षेत्र से 3 लोगों को गिरफ्तार किया है, इनसे पूछताछ की जा रही है. जबकि 4 लोगों की हिरासत में लिया गया है. पुलिस चश्मदीदों और सामने आई वीडियो-तस्वीरों के आधार पर छापेमारी कर रही है. महाव और चिंगरावठी, दोनों ही गांव घटनास्थल के नजदीक के गांव हैं. कहा जा रहा है कि जो 400-500 लोगों की भीड़ आई थी वह इन्हीं गांवों से आई थी.

Wednesday, October 31, 2018

क्या महिंदा राजपक्षे मजबूरी में चीन की तरफ़ थे

''प्रधानमंत्री ऐसा हो, जिसे लोगों ने चुना हो. कोई एक या दो लोग चाहें जिसे, उसे प्रधानमंत्री नहीं बना सकते. उन्हें संसद का बहुमत जीतना होगा. राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना, हमें दुनिया की नज़रों में शर्मसार कर रहे हैं. दुनिया कहेगी कि हम एक मूर्ख देश हैं. संसद सर्वोच्च है. इन तमाम समस्याओं का समाधान संसद के ज़रिए किया जा सकता है. संसद में जो बहुमत साबित करेगा, वही प्रधानमंत्री बनेगा.''

ये शब्द श्रीलंका के लोगों की मिलीजुली आवाज़ है जो 26 अक्तूबर की शाम ढलने के बाद बढ़ते राजनीतिक तनाव के बीच राजधानी कोलंबों में सुनाई दे रहे थे.

श्रीलंका में इस समय एक राष्ट्रपति और 'दो प्रधानमंत्री' हैं. दोनों में से कौन 'असली' प्रधानमंत्री है, इसका फ़ैसला 16 नवंबर को होगा जब श्रीलंका की संसद में 'कुर्सी के दावेदार' अपना बहुमत साबित करेंगे.

श्रीलंका की राजनीति में फिलहाल तीन अहम किरदार हैं- मैत्रीपाला सिरीसेना, रानिल विक्रमसिंघे और महिंदा राजपक्षे.

मैत्रीपाला सिरीसेना इस समय राष्ट्रपति हैं. उन्होंने महिंदा राजपक्षे को श्रीलंका का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है. तीसरे किरदार रानिल विक्रमसिंघे हैं जिन्हें राष्ट्रपति सिरीसेना ने 26 अक्तूबर को 'बर्ख़ास्त' कर दिया.

सत्ता का ये त्रिकोण श्रीलंका में कोई नया समीकरण नहीं है. लेकिन इन तीनों की भूमिकाएं ज़रूर बदल गई हैं.

महिंदा राजपक्षे श्रीलंका की राजनीति में पुराने और मज़बूत खिलाड़ी हैं. पृथकतावादी लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (लिट्टे) की उखड़ती जड़ों के साथ राजपक्षे ने अपनी जड़ों को मज़बूत बनाया और वो साल 2005 से साल 2015 तक श्रीलंका के राष्ट्रपति रहे.

सबने मिलकर राजपक्षे को घेरा'
साल 2015 के जनवरी महीने में राष्ट्रपति का चुनाव हुआ. इस बार राजपक्षे को चुनौती दी मैत्रीपाला सिरीसेना ने. दोनों की एक ही पार्टी थी- श्रीलंका फ्रीडम पार्टी, लेकिन धड़े अलग अलग थे. महिंदा राजपक्षे पर 'तानाशाह बनने' और 'भ्रष्टाचार' करने के आरोप थे. राष्ट्रपति चुनाव में सिरीसेना को अप्रत्याशित जीत मिली.

श्रीलंका की राजनीति पर पैनी नज़र रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार वेंकट नारायण बताते हैं, ''सिरीसेना प्रधानमंत्री बनना चाहते थे. लेकिन राष्ट्रपति रहते महिंदा राजपक्षे ने ऐसा नहीं किया. इससे क्षुब्ध होकर श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के नेता सिरीसेना ने सिंघलियों की यूनाइटेड नेशनल पार्टी के नेता रानिल विक्रमसिंघे से हाथ मिलाया. दोनों ने मिलकर राजपक्षे के धड़े को हरा दिया. चुनाव के बाद सिरीसेना राष्ट्रपति बने और उन्होंने रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री बना दिया.''

इस चुनाव के साथ ही महिंदा राजपक्षे का ये भ्रम भी टूट गया कि वो एक सिंघला नेता हैं और सिंघला वोटों के बूते किसी को भी हरा सकते हैं. उन्होंने संविधान को भी बदला, जो श्रीलंका में किसी भी व्यक्ति को दो बार राष्ट्रपति बनने से रोकता है. सत्ता के लिए उनकी ये बेताबी लोगों को पसंद नहीं आई और तमाम गुटों ने मिलकर चुनाव में उन्हें पटखनी दी.

सिरीसेना और विक्रमसिंघे में दूरी कैसे बढ़ी
राष्ट्रपति सिरीसेना और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने शुरुआत तो अच्छी की लेकिन ये जुगलबंदी जल्द ही गड़बड़ाने लगी.

वरिष्ठ पत्रकार वेंकट नारायण बताते हैं, ''रानिल विक्रमसिंघे की छवि शहरी संभ्रांत वर्ग की है. कोलंबो और शहरी इलाके में उन्हें समर्थन हासिल है. इसके विपरीत सिरीसेना ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं. इन्होंने चुनाव में ये कहकर वोट बटोरे थे कि हम सत्ता में आने के बाद राजपक्षे के भ्रष्टाचार की पोल खोलेंगे, उन्हें सज़ा दिलवाएंगे. लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा कुछ नहीं कर पाए, क्योंकि दोनों में सहमति नहीं बनती थी, दोनों एक-दूसरे से चर्चा तक नहीं करते थे. ''

वेंकट नारायण बताते हैं कि लगभग 15 दिन पहले एक ऐसा वाक़या सामने आया जिसने सिरीसेना और रानिल विक्रमसिंघे के रास्ते जुदा कर दिए.

वेंकट नारायण बताते हैं, ''कैबिनेट की एक बैठक में सिरीसेना ने कहा कि एक भारतीय है जो रॉ का आदमी लगता है, वो मेरी और गोटाभाया राजपक्षे की हत्या करना चाहता है. सिरीसेना ने रानिल विक्रमसिंघे से इसकी जांच-पड़ताल कराने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने इस बात पर बहुत अधिक ध्यान नहीं दिया. सिरीसेना को इस बात से भी शिकायत थी कि रानिल विक्रमसिंघे अपने करीबियों को अहम ओहदों पर रख रहे थे और इस बारे में उनसे चर्चा तक नहीं कर रहे थे.''

''दोनों में ग़लतफ़हमियां बढ़ने लगीं. कुछ दिन पहले जब रानिल विक्रमसिंघा भारत आए, प्रधानमंत्री मोदी से मुलाक़ात के बाद उन्होंने एक बयान जारी करके कहा कि सिरीसेना की वजह से भारत, श्रीलंका में निवेश नहीं कर रहा है. बयान में सिरीसेना का नाम नहीं लिया गया, लेकिन ठीकरा सिरीसेना के ही सिर पर फोड़ा गया था. यहां सिरीसेना को लगा कि अब बात नहीं बन सकती और रानिल विक्रमसिंघे को निकालना ही पड़ेगा. इसी वजह से 26 अक्तूबर की शाम राष्ट्रपति सिरीसेना ने विक्रमसिंघे को हटाकर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर महिंदा राजपक्षे को बैठा दिया.''